Monday 23 March, 2009

दूरदर्शन पर कविता पाठ - मेरा प्रथम अनुभव

हिन्दी भाषा मैंने आठवीं कक्षा तक ही पढ़ी थी !कविता,कहानी,उपन्यास पढने का शौक मुझे बिल्कुल नहीं था !जाने कैसे अनायास ही मेरे हाथों ने कलम थामी और कागज़ पर लिखना शुरू कर दिया !मेरे मन के उदगार,अहसास कब कविता बन कर कागज़ पर उतेर्नी लगे ,मुझे मालूम ही न हुआ !ऐसे ही एक बार मज़ाक में मैंने अपनी सहेलियों से कहानी लिखने की चुनौती को स्वीकार कर लिया और यूँ ही कुछ लिख बैठी !आश्चर्य की सीमा न रही जब मैंने देखा कि मेरी कहानी सुप्रसिद्ध श्रीमति मन्नू भंडारी जी द्वारा चयनित हो कालेज की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित हो गई थी ! बस तभी से मैं कविता और कहानियाँ लिखने लगी !
मेरी रूचि देख कर मेरी छोटी बहन और उसके पति ने मुझे दूरदर्शन में कविता पाठ के लिए प्रेरित किया !२२ जनवरी २००९ को सुबह मेरे पास उनका फ़ोन आया कि २८ जनवरी को दूरदर्शन पर कविता पाठ की रिकार्डिंग होनी है अतः उस सन्दर्भ में मैं एक बार दूरदर्शन केन्द्र जा कर श्री बी.एम शर्मा जी से मिल लूँ !एक पल को मुझे बहुत खुशी हुई परन्तु दूसरे ही पल मैं जाने में संकोच कर रही थी !आखिरकार २३ जनवरी को में अपनी मित्र भारती के साथ दूरदर्शन केन्द्र पहुँच गई !
दूरदर्शन केन्द्र बहुत ही सुंदर बना हुआ है !वह सात मंजिला इमारत है वहां जा कर पता चला कि हमको २८ जनवरी २००९ को ठीक २ बजे रिकार्डिंग के लिए पहुँच जाना है !मेरे आलावा वहां दो कवयित्री सुश्री सविता असीम जी और सुश्री जे.वी मनीषा जी तथा वरिष्ठ कवि श्री धनञ्जय सिंह जी ,श्री विज्ञान व्रत जी तथा डा। रहमान मुस्सविर जी भी आमंत्रित हैं !हम सबको दो या तीन कवितायें ही बोलनी होंगी !मैंने घर आ कर अपनी दो कवितायें `जीवन यात्रा ' और `रेत के घर' छाँट ली !ये मेरा प्रथम अनुभव था और मैं बहुत उत्साहित भी थी !
२८ जनवरी को मैं और भारती ठीक २ बजे दूरदर्शन केन्द्र जा पहुंचे !हम जैसे ही शर्मा जी के कमरे में पहुंचे तो देखा श्री धनञ्जय सिंह जी वहां आए हुए थे !उनसे परिचय हुआ ,मिल कर बहुत अच्छा लगा !उन्होंने मेरी कवितायें देखि और उस पर विचार भी प्रकट किए !मुझे बताया गया कि सबसे पहले मुझे ही कविता पाठ करना होगा !एक बार को मैं सोच में पड़ गई कि सबसे पहले इतने अनुभवी साथिओं के बीच कैसे बोल पाउंगी !सोचने लगी कि यदि दूसरे या तीसरे नंबर पर बोलना होता तो मैं भी देख लेती अपने साथियों के बोलने का अंदाज़ और शायद थोडी और सहज हो जाती !
पता चला कि विज्ञान व्रत जी मेकअप रूम से आरहे हैं !तभी डा .रहमान मुस्सविर जी भी आ गए !मेकअप रूम में ही सविता जी और मनीषा जी से परिचय हुआ !हम सब वहां से रिकार्डिंग के लिए स्टूडियो की और चल पड़े !वातावरण बहुत ही सहज था !खासतौर से धनञ्जय जी और विज्ञान जी ने अपनी हलकी फुल्की बातों से माहौल बहुत ही अच्छा बना दिया थकिसी ने मुझे नवोदित कवयित्री होने का अहसास नहीं होने दिया वो सब अपने पिछले अनुभवों को याद कर रहे थे !ऐसा लग रहा था मानों सब एक ही परिवार के सदस्य हों !
माइक और कैमरे की सेटिंग होते ही कार्यक्रम का सञ्चालन श्री धनञ्जय सिंह जी के हाथों सौंप दिया गया !उन्होंने सबका परिचय कराया और मुझे कविता पाठ का निमंत्रण दिया !एक पल के लिए तो मैं थोड़ा नर्वस थी परन्तु अगले ही पल हिम्मत कर कविता सुनाने लगी !बीच में अपने सभी साथियों द्वारा वाह वाही और होंसला अफजाई से मुझे बहुत हिम्मत मिली और मैंने दोनों कवितायें सुना दी !मेरे अतिरिक्त सभी बहुत ही अनुभवी कवि थे ,सबने बहुत ही अच्छी कवितायें ,ग़ज़ल ,नज़्म और शेर सुनाये और ४० मिनट का कार्यक्रम बिना किसी रिटेक के एक बार में ही संपन्न हो गया !हम सब केंटीन में चाय समोसों का आनंद लेते रहे और शाम ५ बजे अपना चेक ले कर घर आ गए !
३ मार्च को जब दूरदर्शन पर वह कार्यक्रम आया तो मुझे मित्रों और रिश्तेदारों के बहुत से फ़ोन आए कि मैंने बिना किसी डर ,संकोच के ,बड़े ही आत्मविश्वास के साथ अपनी कविता सुनाई थी !मैं भी बहुत खुश थी और अपनी इस सफलता के लिए अपने सभी साथियों का धन्यवाद कर रही थी ,जिन्होंने इतने वरिष्ठ और अनुभवी होते हुए मुझे निवोदित होने का अहसास नही होने दिया बल्कि मेरा होंसला बढाया !और सबसे अधिक खुशी मुझे तब हुई जब श्री धनञ्जय जी का कार्यक्रम की सफलता पर धन्यवाद संदेश मेरे फ़ोन पर आया !सच ही ये यादगार पल मेरे जीवन के अविस्मर्णीय पल रहेंगे !