आजकल मेरा मन बहुत अशांत है !मेरी अशांति का कारण मेरी दोस्ती है !वह दोस्ती जिस पर मुझे नाज़ था !वह दोस्त (उस से मेरी मुलाक़ात १९९२ में हुई थी ) जिसका ज़िक्र हर वक्त मेरी जुबां पर रहता था ,कैसे पल भर में बदल सकता है ?मेरी दोस्त जिसके साथ मेरे ११ साल तक दिन में ११ घंटे बीतते थे ,मेरी वही दोस्त जिसके आने का इंतज़ार मैं सुबह होते ही करती थी ,जिसके साथ मैंने सुख ,दुःख ,हँसी ,खुशी ,ग़म ,बीमारी के क्षण गुजारे थे !मेरे मन में यदि एक पल के लिए भी कुछ विचार आते तो उसी क्षण मैं उसे उस बारे में बताती थी !
मैं सोच रही हूँ कि जिसने ११ साल में एक पल के लिए भी मेरी आंखों में आंसू नहीं आने दिए ,वह आजक्यूँ मुझे आंसुओं के समुद्र में डुबो रही है ? मुझे याद है वो बेपरवाह सी जिंदगी ,जिसमें सिर्फ़ खुशियाँ थी ,कोई छल कपट नहीं नज़र आता था ,प्यार था ,अपनापन था क्या एक छलावा था ?मेरी वह दोस्त जो मेरे कुछ कहे बिना ही मेरी मनोस्थिति जान जाती थी क्या आज मुझे मानसिक नुक्सान दे सकती है ?क्या वह मेरी जान की दुश्मन हो सकती है जिसने मुझे जिंदगी दी और मौत के मुंह में जाने से बचाया ?वह मेरे साथ ऐसा क्यूँ कर रही है ?
जिसका नाम सुन कर कभी मुझे फख्र होता था क्यूँ आज मैं उसका नाम सुन कर डर जाती हूँ !जिसके साथ कभी मैं बातें करती नहीं थकती थी ,आज सालों हो गए उससे बात किए हुए !मैं अपनी दोस्त और दोस्ती पर कवितायें लिखती थी !मैं आपसे बहुत दुखी मन से पूछना चाहती हूँ कि क्या कोई दोस्त ११ वर्ष की दोस्ती को दुश्मनी में बदल सकता है ?ये कैसी दोस्ती है ?आज मेरी कलम ये लिखने को मजबूर है ....
क्यूँ भरे दम कोई दोस्ती में
लुट के मर जाने का !
जब वही दोस्त सरेबाजार कत्ल करे
दोस्ती के अफ़साने का !
मैं सोच रही हूँ कि जिसने ११ साल में एक पल के लिए भी मेरी आंखों में आंसू नहीं आने दिए ,वह आजक्यूँ मुझे आंसुओं के समुद्र में डुबो रही है ? मुझे याद है वो बेपरवाह सी जिंदगी ,जिसमें सिर्फ़ खुशियाँ थी ,कोई छल कपट नहीं नज़र आता था ,प्यार था ,अपनापन था क्या एक छलावा था ?मेरी वह दोस्त जो मेरे कुछ कहे बिना ही मेरी मनोस्थिति जान जाती थी क्या आज मुझे मानसिक नुक्सान दे सकती है ?क्या वह मेरी जान की दुश्मन हो सकती है जिसने मुझे जिंदगी दी और मौत के मुंह में जाने से बचाया ?वह मेरे साथ ऐसा क्यूँ कर रही है ?
जिसका नाम सुन कर कभी मुझे फख्र होता था क्यूँ आज मैं उसका नाम सुन कर डर जाती हूँ !जिसके साथ कभी मैं बातें करती नहीं थकती थी ,आज सालों हो गए उससे बात किए हुए !मैं अपनी दोस्त और दोस्ती पर कवितायें लिखती थी !मैं आपसे बहुत दुखी मन से पूछना चाहती हूँ कि क्या कोई दोस्त ११ वर्ष की दोस्ती को दुश्मनी में बदल सकता है ?ये कैसी दोस्ती है ?आज मेरी कलम ये लिखने को मजबूर है ....
क्यूँ भरे दम कोई दोस्ती में
लुट के मर जाने का !
जब वही दोस्त सरेबाजार कत्ल करे
दोस्ती के अफ़साने का !